कविताये

वो धना धन बढिये धन बढ़ी भकार भरला वो मना मन न बढिये मन बढ़ी के नी मिलनौ |

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ज़िंदगी एक बहाना है
जमन
उत्तराखंड
आलस
हाय रे पिलानी
 मेरी अम्मा
सफ़र