कुछ बाते
हम भी बदल गये आप भी बदल जाआे फिर यु न कहना। की याद नही करते।।~केदार सिंह ~
वो धना धन बढिये धन बढ़ी भकार भरला वो मना मन न बढिये मन बढ़ी के नी मिलनौ |
ओ दीदी वाे भुली हीटाे म्यार पहाडा जख ठंडी हवा सर-सर, तर -तर पाडीक धारा। काखडी मुंगरी, तुमड लटक्या हाेला असुजा का मैना काम काज चली हाेनल ओर पसीडक …
भारी हाेती है, बिटीया अब पलने मै रखने काे बेटा चाहे, सर चढे फिर भी लाड लडाते है। उसकाे एक औरत भी यही कहती बेटा मेरा पहला चहती तु भी माँ एक माँ…
हे भौजी कन लगणु म्यार मुलुक अभी दुयुरा स्वर्ग तुमार मुलुक रंग पाणी जब चढ़ जालो जरा पछी देखुला ! हे भौजी कन छा सासु ससुरा दुयुरा अभित बाबा बोई…
हरची गई उ रीत रिवाज बुखार चढ़ गे फैशन कु पेन्या फट्या लारा लता मतलब नी रे सीयूड धागा कु। पिली धोती बरा कु हरची गे जमन ऐगे शूट…
स्वर्ग च म्यार उत्तराखंड नर्क नी बनवा जी घारक मुस बिराल भयार भागड़ा भयारक मुस बिराल यख बसडा जी ! पुराणियोक सजी च या धरती इन कै न बेचा जी याद…
या कविता उन परदेसियों खे च जो लोग उत्तराखंड से पलायन कर के यहाँ परदेश मे रहने लगे है जो उस पवित्र देव भूमि को छोड़ के सब इस रावण की लंका म…
ये कविता उन बुर्जुग लाेगाे के लिये है़़ िजनके काेई साथी न. संगी बचा है ़़ ओर वाे अपने दील काे क्या दिलासा दे रहे है ़़़जब उनका कष्ट काेई नही समझ पाता…
प्यार काे बदनाम कर दीया इन जिस्म के शाैदागराे ने प्यार करना भी अब डर लगता है! जब सुनी ! जिस्म की शाैदागराे की खबर कान सुन हाे गऐ ़ कुछ समय ह्रद…
सुरज के बन्द। दरवाजे बडा उदास मेरा मन क्याे छुपा दीये सुरज ने आज उज्ज्वल किरण। बारिश। हुई रिम। झिम ओर बिजली चमकी चम -चम बादलाे ने किया गण गण …
आई रे आई हाेली रंगो की हम जाेली संगम का ये त्योहार आया बाेलाे मिठी बाेली। छाेटा बडा कुछ नही आज गुलाल मलना है गीले सीखवाे काे भूल के आज रगं म…
बडे लाेगाे की बडी बात पैसा बहुत खर्चे की क्या बात छाेटे लाेगाे की छाेटी बात पैसा कम बुरे हालात सरकार बदली फर्क न पडना माेटे ताेदं वालाे काे …
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