कविताये

वो धना धन बढिये धन बढ़ी भकार भरला वो मना मन न बढिये मन बढ़ी के नी मिलनौ |

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कुछ बाते
सरसाै के लह लहाते खेत।का सुन्दर दृश्य
म्यार पहाडा
बिटीया
नई नई भाैजी
पलायन
स्वर्ग
म्यार मुलुक
बुढैन दा की गाणी
अब डर लगता है
सुरज के बन्द दरवाजे
हाेली
हालत