यु मेरी पुराणी परपाटी कु सजालाे अब
जिकुणा मा जुयु जरा लाफड जन बची
ईथे कु निभालाे तब।
बीटाेल्यु समालुयु बीसकुड जस घमई रे
घाैर बाैड गाै गुढयार तुवेकुणी सजायु रे
जाैड बटीक टुक तक लीपी लापीच
फाम आई मेथे जब।
खेल काेतीक धाैड दगण
बीयाे बरयात थान थापण
भूमि पुजड अगयाल मेटण
धुपयाणु देवाे का जगाला जब।
पुराणी जब दीखया हाेला जुयुरा का बाखईम बटीक
की साेचणा हाेला हमसणीक
साेपयु जैक हाथम आज ऊ भी बाट लगी
गवाल गुसई कुवे नी रे जब।
केदार सिंह।
0 Comments