सफ़र
अब सफर शुरु हुआ खतम कहा पता नहीं
रास्ते कई जिधर प्रस्थिति ले जाए उधर ही सही!
न धूप देखि न छाव देखा न देखा आसयाना
पता नहीं ,मिला भी नहीं इस सफर का ठिकाना!
न देखि मंजिल न देखि डगर
बड़ा लंबा काफिला अब जाऊ किधर !
पनि की धार है सफर न जानु
रुके किस मोड पर ये अब किस कदर! केदार सिंह "
म्यारों पहाड़!
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hello
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