स्वर्ग


स्वर्ग च म्यार उत्तराखंड
नर्क नी बनवा जी
घारक मुस बिराल भयार भागड़ा
भयारक मुस बिराल यख बसडा जी !

पुराणियोक सजी च या धरती
इन कै न बेचा जी
याद बसी च हमर पुराणियो का
इन पैसो में न तुला जी !

दियो देवतो की तपो भूमि च
लंका न बनाओ जी
राम कथे बे ल्याला
जब रवां पैदा होला जी !

जिकडियो मै प्यार प्रेम भरी
मन मै उलार जी
प्यार प्रेम बसी यख
इन कै न बगावा जी !

"केदार सिंह" !



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