हालत


बडे लाेगाे की बडी बात
पैसा बहुत
खर्चे की क्या बात
छाेटे लाेगाे की छाेटी बात
पैसा कम
बुरे हालात
सरकार बदली
फर्क न पडना  माेटे ताेदं वालाे काे
गरीब की गरीबी पीस गई
ईन महंगाई के बाजारों  में
रात गई। बात गई
ऐसे खाेखले वादे है
भाेली भाली जनता  काे
अब रुलाने  के कई चाभी ताले है
काला धन  कब वापस आयेगा
ये कीसी काे पता नहीं
दुम दबाऐ बैठे ढेराे पर
खुद ही ये काले है
राम भरासे क्या हाेगा
इस देश का
खुद खाने वाले
खुद ही छुपाने वाले है
कहत केदार सुनाे भाई जनता
ऐसा कलयुग। आयेगा
जाे पाप करे यहा
यही उसे मिल जायेगा

केदार सिह।

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