सुरज के बन्द दरवाजे

सुरज के बन्द। दरवाजे बडा उदास मेरा  मन
क्याे छुपा  दीये सुरज ने आज उज्ज्वल किरण।

बारिश। हुई रिम। झिम ओर बिजली  चमकी चम -चम
बादलाे  ने किया गण गण मानाे कालिक पाेत दी  हाे  सुरज पर।

पवन बाेली  बारिश से पखं  तेरे मे बन जाऊ
घाटी -घाटी नहर -नहर  झरने तुझे जल्दी पहुचाऊ

खिल गये  घर आँगन  वन उपवन
छुपा घर के अन्दर ये निडर मन।

                   केदार सिह।।

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