बिटीया


भारी हाेती है, बिटीया
अब पलने मै रखने काे
बेटा चाहे, सर चढे
फिर भी लाड लडाते है। उसकाे
एक औरत भी यही कहती
बेटा मेरा पहला चहती
तु भी माँ एक माँ की बिटीया है
फिर मेरा दर्द क्याे नही समझती
तुम्हारा भी जन्म एक जननी से हुआ
फिर क्याे है।बिटीया शब्द इतना बुरा
संसार मे आने से पहले
उदर मे ही गला घाेट देते मेरा
बाेलाे बिटीया हु मै
इसमे क्या कसूर है मेरा।  ~केदार सिह ~





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