रुडी दीन

चल जयाेला स्वर्ग की सीयाेल  मा
बीन मछाे पाणी किले तडपणी यख
भरीया काफलाे की डलयुणाे मा
गन्जुक भरी खयाैला घपा घप।
धुयेणी आखीयाे थे कीले मिनणी
रग बगे जादु तु तब वख
यु पराण कथे नी मानन वख न यख
चल गन्जुक भरी खयाैला घपा घप।
बयार भी अब डबलाे मे च आणी
सुर सुर बयार मुफतेक
जयाे के बानल जरा तख
चल गन्जुक भरी खयाैला घपा घप।
पाँच पंण्डाै की जख स्वर्ग काे बाटु
हीमखण्ड मा नन्दा काे साैरासु
हीयु कु थुपडाे मा बैढया भाेले शंकर जख
चल गन्जुक भरी खयाैला घपा घप।
सुस्याट करदी जाडी गंगा यमुना कु पाणी
कीले छे तख यु शरीलाके तपाणी
तीस नी बुझेली जब तख
आैज्याली भरी पाणी पीणी ऐ जा ई घटा घट।। ~केदार सिह~





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